{"title":"धनात्मक बाह्यतायें एवं मनरेगा - एक आर्थिक अनुशीलन (दुर्ग जिले के विशेष संदर्भ में)","authors":"सुनीत कुमार तिवारी","doi":"10.52228/jrua.2021-27-1-6","DOIUrl":null,"url":null,"abstract":"\n प्रस्तुत शोध पत्र दुर्ग जिले में धनात्मक बाह्यतायें एवं महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना पर आधारित है जो कि प्राथमिक एवं द्वितीयक समंक से सम्बन्धित है। इस शोध पत्र में न्यादर्श गांवों में शासन द्वारा चलाये जा रहे मनरेगा के अंतर्गत विभिन्न कार्य के द्वारा रोजगार, आय, जीवन स्तर में सुधार एवं संतुष्टि स्तर का अध्ययन किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि रोजगार के अतिरिक्त शासन के द्वारा उपलब्ध कराये जा रहे रोजगार से आय, रोजगार से आय की पर्याप्तता, रोजगार के दिवस, रोजगार की पर्याप्तता, प्रति परिवार एवं प्रति व्यक्ति रोजगार की उपलब्धता, रोजगार में महिलाओं की भागीदारी आदि का अध्ययन किया गया है। राष्ट्रपिता महात्मागाँधी के शब्दों में ‘‘भारत की आत्मा गाँवों में बसती है’’ वे ग्रामीण अर्थव्यवस्था की आत्मनिर्भरता, स्वशासन की वकालत किया करते थे जो की ग्रामीण अर्थवस्था एक बुनियादी ढाँचे में ही निहित होती है, अतः बुनियादी ढाँचे के विकास को प्राथमिकता दी जाए एवं इसी सिद्धांत पर ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यावरणीय बाह्ययताएं व टिकाऊ रोजगार तथा आर्थिक विकास को सुदृढ़ता की ओर अग्रसर होगा। \n","PeriodicalId":296911,"journal":{"name":"Journal of Ravishankar University (PART-A)","volume":"7 1","pages":"0"},"PeriodicalIF":0.0000,"publicationDate":"2015-05-01","publicationTypes":"Journal Article","fieldsOfStudy":null,"isOpenAccess":false,"openAccessPdf":"","citationCount":"0","resultStr":null,"platform":"Semanticscholar","paperid":null,"PeriodicalName":"Journal of Ravishankar University (PART-A)","FirstCategoryId":"1085","ListUrlMain":"https://doi.org/10.52228/jrua.2021-27-1-6","RegionNum":0,"RegionCategory":null,"ArticlePicture":[],"TitleCN":null,"AbstractTextCN":null,"PMCID":null,"EPubDate":"","PubModel":"","JCR":"","JCRName":"","Score":null,"Total":0}
धनात्मक बाह्यतायें एवं मनरेगा - एक आर्थिक अनुशीलन (दुर्ग जिले के विशेष संदर्भ में)
प्रस्तुत शोध पत्र दुर्ग जिले में धनात्मक बाह्यतायें एवं महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना पर आधारित है जो कि प्राथमिक एवं द्वितीयक समंक से सम्बन्धित है। इस शोध पत्र में न्यादर्श गांवों में शासन द्वारा चलाये जा रहे मनरेगा के अंतर्गत विभिन्न कार्य के द्वारा रोजगार, आय, जीवन स्तर में सुधार एवं संतुष्टि स्तर का अध्ययन किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि रोजगार के अतिरिक्त शासन के द्वारा उपलब्ध कराये जा रहे रोजगार से आय, रोजगार से आय की पर्याप्तता, रोजगार के दिवस, रोजगार की पर्याप्तता, प्रति परिवार एवं प्रति व्यक्ति रोजगार की उपलब्धता, रोजगार में महिलाओं की भागीदारी आदि का अध्ययन किया गया है। राष्ट्रपिता महात्मागाँधी के शब्दों में ‘‘भारत की आत्मा गाँवों में बसती है’’ वे ग्रामीण अर्थव्यवस्था की आत्मनिर्भरता, स्वशासन की वकालत किया करते थे जो की ग्रामीण अर्थवस्था एक बुनियादी ढाँचे में ही निहित होती है, अतः बुनियादी ढाँचे के विकास को प्राथमिकता दी जाए एवं इसी सिद्धांत पर ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यावरणीय बाह्ययताएं व टिकाऊ रोजगार तथा आर्थिक विकास को सुदृढ़ता की ओर अग्रसर होगा।