{"title":"恰蒂斯加尔邦的巨石文化:远景","authors":"नितेश कुमार मिश्र","doi":"10.52228/JRUA.2021-27-1-2","DOIUrl":null,"url":null,"abstract":"\n छत्तीसगढ़ एक नवगठित राज्य है जिसे प्राचीन काल में दक्षिण कोसल कहा जाता था। इसके अंतर्गत वर्तमान रायपुर, बस्तर, सरगुजा तथा बिलासपुर सम्भागों के अलावा वर्तमान उड़ीसा राज्य के सम्बलपुर जिले का अधिकांश भू-भाग भी सम्मिलित था जो मेकल, रायगढ़ और सिहावा की पहाड़ी श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है। छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदी महानदी है। छत्तीसगढ़ राज्य भारत के कुछ सौभाग्यशाली राज्यों में से एक है जिसकी एक लम्बी सांस्कृतिक परम्परा रही है। यह क्षेत्र प्रागैतिहासिक काल से लेकर ऐतिहासिक काल तक पुरा सम्पदा को अपने में समेटे हुये है। इसी क्रम में छत्तीसगढ़ की महापाषाणिक संस्कृति का अपना विशेष महत्व है। महापाषाणिक अथवा वृहत्पाषाणिक समाधि शब्द अंग्रेजी भाषा के मेगालिथ ;डमहंसपजीद्ध शब्द का हिन्दी रूपान्तर है। मेगालिथ शब्द की व्युत्पत्ति यूनानी भाषा के मेगाॅस ;डमहंेद्ध और लिथाॅस ;स्पजीवेद्ध इन दो शब्दों के संयोग से हुयी है। मेगास का अर्थ विशाल और लिथाॅस का अर्थ पाषाण है। अतः इस संज्ञा से ऐसे स्मारक का बोध होता है जिसके निर्माण में बृहत्पाषाण खण्ड़ो की भूमिका होती है। विशिष्ट प्रकार के इन स्मारकों का निर्माण या तो शवों को दफनाने के लिये अथवा मृत व्यक्ति की स्मृति को स्थायी बनाये रखने के लिये किया जाता था। विश्व तथा भारत के विभिन्न क्षेत्रों से इस प्रकार की समाधियों की प्राप्ति होती है छत्तीसगढ़ राज्य इस दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है चिरचरी, धनौरा, करकाभाट, बरतियाभाटा, गोदमा, मोथे, गम्मेवाड़ा, तिम्मेलवाड़ा, केतार, आरा आदि पुरास्थलों से महापाषाणिक संस्कृति के अवशेष मिले है। \n","PeriodicalId":296911,"journal":{"name":"Journal of Ravishankar University (PART-A)","volume":"15 1","pages":"0"},"PeriodicalIF":0.0000,"publicationDate":"2021-07-01","publicationTypes":"Journal Article","fieldsOfStudy":null,"isOpenAccess":false,"openAccessPdf":"","citationCount":"0","resultStr":"{\"title\":\"छत्तीसगढ़ की महापाषाणिक संस्कृति: एक दृष्टि में\",\"authors\":\"नितेश कुमार मिश्र\",\"doi\":\"10.52228/JRUA.2021-27-1-2\",\"DOIUrl\":null,\"url\":null,\"abstract\":\"\\n छत्तीसगढ़ एक नवगठित राज्य है जिसे प्राचीन काल में दक्षिण कोसल कहा जाता था। इसके अंतर्गत वर्तमान रायपुर, बस्तर, सरगुजा तथा बिलासपुर सम्भागों के अलावा वर्तमान उड़ीसा राज्य के सम्बलपुर जिले का अधिकांश भू-भाग भी सम्मिलित था जो मेकल, रायगढ़ और सिहावा की पहाड़ी श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है। छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदी महानदी है। छत्तीसगढ़ राज्य भारत के कुछ सौभाग्यशाली राज्यों में से एक है जिसकी एक लम्बी सांस्कृतिक परम्परा रही है। यह क्षेत्र प्रागैतिहासिक काल से लेकर ऐतिहासिक काल तक पुरा सम्पदा को अपने में समेटे हुये है। इसी क्रम में छत्तीसगढ़ की महापाषाणिक संस्कृति का अपना विशेष महत्व है। महापाषाणिक अथवा वृहत्पाषाणिक समाधि शब्द अंग्रेजी भाषा के मेगालिथ ;डमहंसपजीद्ध शब्द का हिन्दी रूपान्तर है। मेगालिथ शब्द की व्युत्पत्ति यूनानी भाषा के मेगाॅस ;डमहंेद्ध और लिथाॅस ;स्पजीवेद्ध इन दो शब्दों के संयोग से हुयी है। मेगास का अर्थ विशाल और लिथाॅस का अर्थ पाषाण है। अतः इस संज्ञा से ऐसे स्मारक का बोध होता है जिसके निर्माण में बृहत्पाषाण खण्ड़ो की भूमिका होती है। विशिष्ट प्रकार के इन स्मारकों का निर्माण या तो शवों को दफनाने के लिये अथवा मृत व्यक्ति की स्मृति को स्थायी बनाये रखने के लिये किया जाता था। विश्व तथा भारत के विभिन्न क्षेत्रों से इस प्रकार की समाधियों की प्राप्ति होती है छत्तीसगढ़ राज्य इस दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है चिरचरी, धनौरा, करकाभाट, बरतियाभाटा, गोदमा, मोथे, गम्मेवाड़ा, तिम्मेलवाड़ा, केतार, आरा आदि पुरास्थलों से महापाषाणिक संस्कृति के अवशेष मिले है। \\n\",\"PeriodicalId\":296911,\"journal\":{\"name\":\"Journal of Ravishankar University (PART-A)\",\"volume\":\"15 1\",\"pages\":\"0\"},\"PeriodicalIF\":0.0000,\"publicationDate\":\"2021-07-01\",\"publicationTypes\":\"Journal Article\",\"fieldsOfStudy\":null,\"isOpenAccess\":false,\"openAccessPdf\":\"\",\"citationCount\":\"0\",\"resultStr\":null,\"platform\":\"Semanticscholar\",\"paperid\":null,\"PeriodicalName\":\"Journal of Ravishankar University (PART-A)\",\"FirstCategoryId\":\"1085\",\"ListUrlMain\":\"https://doi.org/10.52228/JRUA.2021-27-1-2\",\"RegionNum\":0,\"RegionCategory\":null,\"ArticlePicture\":[],\"TitleCN\":null,\"AbstractTextCN\":null,\"PMCID\":null,\"EPubDate\":\"\",\"PubModel\":\"\",\"JCR\":\"\",\"JCRName\":\"\",\"Score\":null,\"Total\":0}","platform":"Semanticscholar","paperid":null,"PeriodicalName":"Journal of Ravishankar University (PART-A)","FirstCategoryId":"1085","ListUrlMain":"https://doi.org/10.52228/JRUA.2021-27-1-2","RegionNum":0,"RegionCategory":null,"ArticlePicture":[],"TitleCN":null,"AbstractTextCN":null,"PMCID":null,"EPubDate":"","PubModel":"","JCR":"","JCRName":"","Score":null,"Total":0}
छत्तीसगढ़ एक नवगठित राज्य है जिसे प्राचीन काल में दक्षिण कोसल कहा जाता था। इसके अंतर्गत वर्तमान रायपुर, बस्तर, सरगुजा तथा बिलासपुर सम्भागों के अलावा वर्तमान उड़ीसा राज्य के सम्बलपुर जिले का अधिकांश भू-भाग भी सम्मिलित था जो मेकल, रायगढ़ और सिहावा की पहाड़ी श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है। छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदी महानदी है। छत्तीसगढ़ राज्य भारत के कुछ सौभाग्यशाली राज्यों में से एक है जिसकी एक लम्बी सांस्कृतिक परम्परा रही है। यह क्षेत्र प्रागैतिहासिक काल से लेकर ऐतिहासिक काल तक पुरा सम्पदा को अपने में समेटे हुये है। इसी क्रम में छत्तीसगढ़ की महापाषाणिक संस्कृति का अपना विशेष महत्व है। महापाषाणिक अथवा वृहत्पाषाणिक समाधि शब्द अंग्रेजी भाषा के मेगालिथ ;डमहंसपजीद्ध शब्द का हिन्दी रूपान्तर है। मेगालिथ शब्द की व्युत्पत्ति यूनानी भाषा के मेगाॅस ;डमहंेद्ध और लिथाॅस ;स्पजीवेद्ध इन दो शब्दों के संयोग से हुयी है। मेगास का अर्थ विशाल और लिथाॅस का अर्थ पाषाण है। अतः इस संज्ञा से ऐसे स्मारक का बोध होता है जिसके निर्माण में बृहत्पाषाण खण्ड़ो की भूमिका होती है। विशिष्ट प्रकार के इन स्मारकों का निर्माण या तो शवों को दफनाने के लिये अथवा मृत व्यक्ति की स्मृति को स्थायी बनाये रखने के लिये किया जाता था। विश्व तथा भारत के विभिन्न क्षेत्रों से इस प्रकार की समाधियों की प्राप्ति होती है छत्तीसगढ़ राज्य इस दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है चिरचरी, धनौरा, करकाभाट, बरतियाभाटा, गोदमा, मोथे, गम्मेवाड़ा, तिम्मेलवाड़ा, केतार, आरा आदि पुरास्थलों से महापाषाणिक संस्कृति के अवशेष मिले है।