छत्तीसगढ़ में स्व.सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं के सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण का अध्ययन (दुर्ग एवं राजनांदगांव जिला के विशेष संदर्भ में)

अर्चना सेठी, ओमप्रकाश वर्मा
{"title":"छत्तीसगढ़ में स्व.सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं के सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण का अध्ययन (दुर्ग एवं राजनांदगांव जिला के विशेष संदर्भ में)","authors":"अर्चना सेठी, ओमप्रकाश वर्मा","doi":"10.52228/jrua.2022-28-1-2","DOIUrl":null,"url":null,"abstract":"\n वर्तमान भारतीय परिप्रेक्ष्य में विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं ने अपने मेहनत और लगन के बल पर यह साबित कर दिया कि स्व सहायता समूह के साथ जुड़़कर एक नया मुकाम हासिल किया जा सकता है। प्रस्तुत अध्ययन में छत्तीसगढ़ के दुर्ग एवं राजनांदगांव जिले के स्व-सहायता समूह का महिलाओं के सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण पर प्रभाव एवं संतुष्टि का अध्ययन किया गया है। दुर्ग जिले में स्व-सहायता समूह की सदस्यता से पूर्व 37.3 प्रतिशत महिलाएं सशक्त थी एवं स्व-सहायता समूह की सदस्यता के पश्चात 41.6 प्रतिशत महिलाएं सशक्त हो गई। राजनांदगांव जिले में स्व-सहायता समूह की सदस्यता से पूर्व 38.5 प्रतिशत महिलाएं सशक्त थी एवं स्व-सहायता समूह की सदस्यता के पश्चात 46.8 प्रतिशत महिलाएं सशक्त हो गई अर्थात हमारी प्रथम शून्य परिकल्पना महिला स्व-सहायता समूह से सदस्यों के सामाजिक आर्थिक सशक्तिकरण में कोई सार्थक प्रभाव नही पड़़ा है, अस्वीकार की जाती है। स्व-सहायता समूह की सदस्यता से क्रमशः दोनों जिलों में 4.3 एवं 8.3 प्रतिशत अतिरिक्त महिलाएं सशक्त हुई एवं दुर्ग जिले में महिला सशक्तिकरण सूचकांक स्व-सहायता समूह की सदस्यता से पूर्व 0.64 था जो स्व-सहायता समूह की सदस्यता के पश्चात 0.75 हो गया। राजनांदगांव जिला में महिला सशक्तिकरण सूचकांक स्व-सहायता समूह की सदस्यता से पूर्व 0.65 था जो स्व-सहायता समूह की सदस्यता के पश्चात 0.78 हो गया। संतुष्टि का अध्ययन करने हेतु काई स्कवेयर परीक्षण किया गया है। परिगणित मूल्य 7.36 तालिका मूल्य 11.00 से छोटा है। अतः शून्य परिकल्पना अस्वीकार की जाती है कि स्व-सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं के संतुष्टि में कोई सार्थक प्रभाव नही पड़़़ा है अर्थात स्व-सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं के संतुष्टि में सार्थक प्रभाव पड़़़ा है। स्व-सहायता समूह के आय को प्रभावित करने वाले तत्वों का अध्ययन करने के लिए बहुगुणी प्रतिपगमन गुणांक का प्रयोग किया गया है। स्व-सहायता समूह का कार्य, स्व-सहायता समूह का निर्माण अवधि, स्व-सहायता समूह का आकार या सदस्यों की संख्या, सदस्यों की शिक्षा, समूह द्वारा दिए गए ऋण का आकार, समूह द्वारा दिये गये ऋण का ब्याज दर, बचत आदि आय को धनात्मक रुप से प्रभावित कर रहे है। \n","PeriodicalId":296911,"journal":{"name":"Journal of Ravishankar University (PART-A)","volume":"46 1","pages":"0"},"PeriodicalIF":0.0000,"publicationDate":"2022-02-03","publicationTypes":"Journal Article","fieldsOfStudy":null,"isOpenAccess":false,"openAccessPdf":"","citationCount":"1","resultStr":null,"platform":"Semanticscholar","paperid":null,"PeriodicalName":"Journal of Ravishankar University (PART-A)","FirstCategoryId":"1085","ListUrlMain":"https://doi.org/10.52228/jrua.2022-28-1-2","RegionNum":0,"RegionCategory":null,"ArticlePicture":[],"TitleCN":null,"AbstractTextCN":null,"PMCID":null,"EPubDate":"","PubModel":"","JCR":"","JCRName":"","Score":null,"Total":0}
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Abstract

वर्तमान भारतीय परिप्रेक्ष्य में विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं ने अपने मेहनत और लगन के बल पर यह साबित कर दिया कि स्व सहायता समूह के साथ जुड़़कर एक नया मुकाम हासिल किया जा सकता है। प्रस्तुत अध्ययन में छत्तीसगढ़ के दुर्ग एवं राजनांदगांव जिले के स्व-सहायता समूह का महिलाओं के सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण पर प्रभाव एवं संतुष्टि का अध्ययन किया गया है। दुर्ग जिले में स्व-सहायता समूह की सदस्यता से पूर्व 37.3 प्रतिशत महिलाएं सशक्त थी एवं स्व-सहायता समूह की सदस्यता के पश्चात 41.6 प्रतिशत महिलाएं सशक्त हो गई। राजनांदगांव जिले में स्व-सहायता समूह की सदस्यता से पूर्व 38.5 प्रतिशत महिलाएं सशक्त थी एवं स्व-सहायता समूह की सदस्यता के पश्चात 46.8 प्रतिशत महिलाएं सशक्त हो गई अर्थात हमारी प्रथम शून्य परिकल्पना महिला स्व-सहायता समूह से सदस्यों के सामाजिक आर्थिक सशक्तिकरण में कोई सार्थक प्रभाव नही पड़़ा है, अस्वीकार की जाती है। स्व-सहायता समूह की सदस्यता से क्रमशः दोनों जिलों में 4.3 एवं 8.3 प्रतिशत अतिरिक्त महिलाएं सशक्त हुई एवं दुर्ग जिले में महिला सशक्तिकरण सूचकांक स्व-सहायता समूह की सदस्यता से पूर्व 0.64 था जो स्व-सहायता समूह की सदस्यता के पश्चात 0.75 हो गया। राजनांदगांव जिला में महिला सशक्तिकरण सूचकांक स्व-सहायता समूह की सदस्यता से पूर्व 0.65 था जो स्व-सहायता समूह की सदस्यता के पश्चात 0.78 हो गया। संतुष्टि का अध्ययन करने हेतु काई स्कवेयर परीक्षण किया गया है। परिगणित मूल्य 7.36 तालिका मूल्य 11.00 से छोटा है। अतः शून्य परिकल्पना अस्वीकार की जाती है कि स्व-सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं के संतुष्टि में कोई सार्थक प्रभाव नही पड़़़ा है अर्थात स्व-सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं के संतुष्टि में सार्थक प्रभाव पड़़़ा है। स्व-सहायता समूह के आय को प्रभावित करने वाले तत्वों का अध्ययन करने के लिए बहुगुणी प्रतिपगमन गुणांक का प्रयोग किया गया है। स्व-सहायता समूह का कार्य, स्व-सहायता समूह का निर्माण अवधि, स्व-सहायता समूह का आकार या सदस्यों की संख्या, सदस्यों की शिक्षा, समूह द्वारा दिए गए ऋण का आकार, समूह द्वारा दिये गये ऋण का ब्याज दर, बचत आदि आय को धनात्मक रुप से प्रभावित कर रहे है।
在恰蒂斯加尔邦自雇研究通过援助小组赋予妇女社会和经济权力(特别是在杜尔格和拉南加翁地区)。
从目前印度的角度来看,特别是在农村地区,妇女在工作和工业中证明了加入自助团体可以达到一个新的阶段。本研究以恰蒂斯加尔邦的fort和rajnandgaon地区的自助团体为对象,研究妇女在社会和经济赋权的影响和满意度。在加入自助小组之前,妇女的赋权率为37.3%,在加入自助小组之后,妇女的赋权率为41.6%。在rajnandgaon地区,38.5%的妇女在加入自助小组之前获得了权力,46.8%的妇女在加入SHGS之后获得了权力,也就是说,我们的第一个零假设是妇女自助小组对成员的社会经济权力没有显著影响。在加入妇女赋权指数自助小组之前,两区分别增加了4.3%和8.3%的妇女,而在加入自助小组之后,两区分别增加了0.64%的妇女。rajnandgaon地区妇女赋权指数在加入SHGS前为0.65,加入自助小组后为0.78。采用平方检验对满意度进行了研究。计算值为7.36表值小于11.00。因此,否定了女性通过自助团体获得的满足感没有显著影响的虚空假说。采用多元回归因子分析了影响城市居民收入的因素。自助小组的工作、自助小组的建设周期、自助小组的规模或人数、成员的受教育程度、小组的贷款规模、利率、储蓄等都对小组的收入产生积极的影响。
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