在印度空间计划的背景下,评估钱德拉帕拉1号、2号和3号工程师的作用,以及isro PSLV和GSLV投影仪的能力

None Dr. Bhavesh A. Prabhakar, None डॉ. गुरुदत्त पी. जपी
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摘要

很明显,人类在太空科学上的成功已经清楚地表明,人类可以做他们从未想过的事情,没有人见过,没有人见过或感觉到,我们能做的一切。印度空间方案主要在印度空间研究组织(isro)的领导下执行。2008年10月22日,印度的第一次月球任务“钱德拉万”号在斯里赫里戈达省的萨蒂什达万航天中心成功发射。月船一号在月牙带陨石坑底部发现了地下水——冰沉积物,在月球表面发现了羟基和水分子。2023年8月23日,印度成为世界上第一个被月球南极击中的国家,距离月球南极附近70度。月球3号上的一个着陆器模块,一个提升模块和一个月球车。维克拉姆着陆器上的纯净有效载荷显示,月球表面温度为50°c,当你深入时,温度急剧下降。探测器上的α粒子x射线光谱仪(apx)发现了有趣的微量元素的存在,除了铝、硅、钙、铁等主要必需元素外,还包括硫。初步评估表明,月球表面周围的等离子体相对稀少。
本文章由计算机程序翻译,如有差异,请以英文原文为准。
भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों और इसरो के पीएसएलवी, जीएसएलवी प्रक्षेपकों की क्षमता की पृष्ठभूमि मे चंद्रयान -1, 2, 3 अभियानो की भूमिका का आकलन
अंतरिक्ष विज्ञान में इंसान के सफलता से एक बात तो स्पष्ट हो गई है की इंसान वो सब कुछ कर सकता है, जो ना कभी किसी ने सोचा हो, ना कभी किसी ने देखा हो, ना कभी किसी ने किया हो ओर ना कभी किसी ने महसूस किया हो, वो सब कुछ जिसको हम सोचते हैं वो सब कुछ हम कर सकते हैं। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को मुख्य रूप से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के तहत निष्पादित किया जाता है। चंद्रयान-1, चंद्रमा के लिए भारत का पहला मिशन, 22 अक्टूबर 2008 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। चंद्रयान-1 ने चंद्र सतह पर हाइड्रॉक्सिल और पानी के अणुओं की उपस्थिति और स्थायी सूर्य छाया क्षेत्र के क्रेटर के आधार में उप-सतह जल-बर्फ जमा की खोज की। चंद्रयान-3 का 23 अगस्त 2023 को चंद्र के दक्षिणी ध्रुव के पास 70 डिग्री अक्षांश पर उतरने से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला भारत विश्व का पहला देश बन गया है। चंद्रयान-3 मं एक लैंडर मॉड्यूल, प्रोपल्शन मॉड्यूल और एक रोवर शामिल है। विक्रम लैंडर पर लगे चेस्ट (ChaSTE) पेलोड से पता चलता हे की चंद्रमा की सतह का तापमान 50 डिग्री सेल्सियस है, गहराई में जाने पर तापमान तेजी से गिरता है। रोवर पर मौजूद अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (ए.पी.एक्स.एस.) ने एल्यूमीनियम, सिलिकॉन, कैल्शियम, आयरन जैसे प्रमुख अपेक्षित तत्वों के अलावा, सल्फर समेत दिलचस्प सूक्ष्म तत्वों की उपस्थिति की खोज की है। प्रारंभिक मूल्यांकन से संकेत मिलता है कि चंद्र सतह को घेरने वाला प्लाज्मा अपेक्षाकृत विरल है।
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