教育的目的

डॉ. मनोज कुमार, सिंह गोपाल कृष्ण
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摘要

印度《宪法》确保所有公民的平等、自由、正义和尊严,并明确强调建立一个共同的家庭以消除个人。如果占卜学生的年龄平等和有效的教育设施被认为能带来更好的生活质量。教育是增强社会和经济权能的最有效手段。根据《宪法》第1条和1995年《占卜法》第26条,教育已被确认为一项基本权利。根据2001年的年龄,51%的占卜儿童在18岁以前是文盲,这是一个主要问题。有必要将分化的人纳入通识教育体系的主流。政府在东champaran区启动了27个街区,旨在为所有18岁以下的儿童提供小学教育,包括6至14岁的儿童。根据《占卜儿童教育守则》,将为15至18岁的残疾儿童提供免费教育。
本文章由计算机程序翻译,如有差异,请以英文原文为准。
दिव्यांगों की शिक्षा का उद्देश्य
भारत के संविधान सभी नागरिकों के लिए समानता, स्वतंत्रता, न्याय व गरिमा सुनिश्चित करता है और स्पष्ट रूप में यह दिव्यांग व्यक्तिगों के प्रति एक संयुक्त परिवार बनाने पर जोर दिया है। यह माना जाता है कि यदि दिव्यांग छात्र की समान अवस्र तथा प्रभावी शिक्षा की सुविधा मिल तो दिव्यांग छात्र बेहतर गुणवत्तापूर्ण जीवन व्यतीत कर सकते है। समाजिक तथा आर्थिक सशत्तीकरण के लिए शिक्षा सबसे प्रभावी माध्यम होता है। संविधान के अनुच्छेद के तहत जहॉ शिक्षा को मौलिक अधिकार माना गया है और दिव्यांग अधिनियम 1995 के अनुच्छेद 26 में दिव्यांग बच्चों को 18 वर्षों की उम्र तक मुफ्त 2001 के मुताबिक 51 प्रतिशत दिव्यांग व्यक्ति निरक्षर है यह एक बहुत बड़ी समस्या है। दिव्यांग लोगों को सामान्य शिक्षा प्रणाली की मुख्यधारा में लाने की जरूरत है। सरकार द्वारा चलाया गया पूर्वी चम्ॅपारण जिला के 27 प्रखंडों में सर्व शिक्षा अभियान का 18 वर्षों तक के दिव्यांग बच्चों को प्राथमिक स्कूलिंग प्रदान करने का लक्ष्य है जिसमें 6 से 14 वर्ष के बच्चे भी शामिल है। दिव्यांग बच्चों के लिए संकेतिक शिक्षा के तहत 15 से 18 वर्षों तक की उम्र के दिव्यांग बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाएगी।
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