{"title":"贾巴尔普尔地区农业基础产业的问题与可能性研究。","authors":"सुषमा चौधरी","doi":"10.52711/2454-2687.2023.00006","DOIUrl":null,"url":null,"abstract":"कृषि आधारित उद्योग में वे सभी उद्योग या व्यवसायों को शामिल किया जाता है जिसमें कच्चा माल प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रयोग किया गया हो। इन उद्योगों का विकास हमारे देश में प्राचीन काल से ही था परन्तु देश में मुगल एवं अंग्रेजी दासता से इन उद्योगों के विकास की गति थम सी गयी थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् से कृषि आधारित उद्योगों का विकास सरकारी नीतियों के कारण हो रहा है। इन उद्योगों में चावल मिल, दाल मिल, आटा मिल, तेल मिल, बेकरी उद्योग, अचार उद्योग आदि आते है। इन उद्योगों में प्रसंस्करण इकाइयाँ एवं कृषि के मशीनीकरण के सामान भी शामिल किये जाते है। इन उद्योगों मंे सामान्यतः कम पूँजी की आवश्यकता होती है तथा ये मौसमी भी हो सकते है। इस शोध पत्र में स्वतंत्र एवं परतंत्र चरो को शामिल किया गया है इसमें स्वनिर्मित प्रश्नावली का प्रयोग करके वित्त व सामग्री आदि समस्यायें एवं रोजगार व बाजार आदि की सम्भावनाओं से सम्बन्धित प्रश्नों के आधार पर परिकल्पना की जाँच की गयी है जिसमें परिकल्पना क्रमांक (1) व (3) सत्य पाई गई तथा (2) असत्य पाई गयी है।","PeriodicalId":425062,"journal":{"name":"International Journal of Reviews and Research in Social Sciences","volume":"13 1","pages":"0"},"PeriodicalIF":0.0000,"publicationDate":"2023-03-31","publicationTypes":"Journal Article","fieldsOfStudy":null,"isOpenAccess":false,"openAccessPdf":"","citationCount":"1","resultStr":"{\"title\":\"जबलपुर जिले के कृषि आधारित उद्योग की समस्यायें एवं सम्भावानाओं का अध्ययन\",\"authors\":\"सुषमा चौधरी\",\"doi\":\"10.52711/2454-2687.2023.00006\",\"DOIUrl\":null,\"url\":null,\"abstract\":\"कृषि आधारित उद्योग में वे सभी उद्योग या व्यवसायों को शामिल किया जाता है जिसमें कच्चा माल प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रयोग किया गया हो। इन उद्योगों का विकास हमारे देश में प्राचीन काल से ही था परन्तु देश में मुगल एवं अंग्रेजी दासता से इन उद्योगों के विकास की गति थम सी गयी थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् से कृषि आधारित उद्योगों का विकास सरकारी नीतियों के कारण हो रहा है। इन उद्योगों में चावल मिल, दाल मिल, आटा मिल, तेल मिल, बेकरी उद्योग, अचार उद्योग आदि आते है। इन उद्योगों में प्रसंस्करण इकाइयाँ एवं कृषि के मशीनीकरण के सामान भी शामिल किये जाते है। इन उद्योगों मंे सामान्यतः कम पूँजी की आवश्यकता होती है तथा ये मौसमी भी हो सकते है। इस शोध पत्र में स्वतंत्र एवं परतंत्र चरो को शामिल किया गया है इसमें स्वनिर्मित प्रश्नावली का प्रयोग करके वित्त व सामग्री आदि समस्यायें एवं रोजगार व बाजार आदि की सम्भावनाओं से सम्बन्धित प्रश्नों के आधार पर परिकल्पना की जाँच की गयी है जिसमें परिकल्पना क्रमांक (1) व (3) सत्य पाई गई तथा (2) असत्य पाई गयी है।\",\"PeriodicalId\":425062,\"journal\":{\"name\":\"International Journal of Reviews and Research in Social Sciences\",\"volume\":\"13 1\",\"pages\":\"0\"},\"PeriodicalIF\":0.0000,\"publicationDate\":\"2023-03-31\",\"publicationTypes\":\"Journal Article\",\"fieldsOfStudy\":null,\"isOpenAccess\":false,\"openAccessPdf\":\"\",\"citationCount\":\"1\",\"resultStr\":null,\"platform\":\"Semanticscholar\",\"paperid\":null,\"PeriodicalName\":\"International Journal of Reviews and Research in Social Sciences\",\"FirstCategoryId\":\"1085\",\"ListUrlMain\":\"https://doi.org/10.52711/2454-2687.2023.00006\",\"RegionNum\":0,\"RegionCategory\":null,\"ArticlePicture\":[],\"TitleCN\":null,\"AbstractTextCN\":null,\"PMCID\":null,\"EPubDate\":\"\",\"PubModel\":\"\",\"JCR\":\"\",\"JCRName\":\"\",\"Score\":null,\"Total\":0}","platform":"Semanticscholar","paperid":null,"PeriodicalName":"International Journal of Reviews and Research in Social Sciences","FirstCategoryId":"1085","ListUrlMain":"https://doi.org/10.52711/2454-2687.2023.00006","RegionNum":0,"RegionCategory":null,"ArticlePicture":[],"TitleCN":null,"AbstractTextCN":null,"PMCID":null,"EPubDate":"","PubModel":"","JCR":"","JCRName":"","Score":null,"Total":0}
जबलपुर जिले के कृषि आधारित उद्योग की समस्यायें एवं सम्भावानाओं का अध्ययन
कृषि आधारित उद्योग में वे सभी उद्योग या व्यवसायों को शामिल किया जाता है जिसमें कच्चा माल प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रयोग किया गया हो। इन उद्योगों का विकास हमारे देश में प्राचीन काल से ही था परन्तु देश में मुगल एवं अंग्रेजी दासता से इन उद्योगों के विकास की गति थम सी गयी थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् से कृषि आधारित उद्योगों का विकास सरकारी नीतियों के कारण हो रहा है। इन उद्योगों में चावल मिल, दाल मिल, आटा मिल, तेल मिल, बेकरी उद्योग, अचार उद्योग आदि आते है। इन उद्योगों में प्रसंस्करण इकाइयाँ एवं कृषि के मशीनीकरण के सामान भी शामिल किये जाते है। इन उद्योगों मंे सामान्यतः कम पूँजी की आवश्यकता होती है तथा ये मौसमी भी हो सकते है। इस शोध पत्र में स्वतंत्र एवं परतंत्र चरो को शामिल किया गया है इसमें स्वनिर्मित प्रश्नावली का प्रयोग करके वित्त व सामग्री आदि समस्यायें एवं रोजगार व बाजार आदि की सम्भावनाओं से सम्बन्धित प्रश्नों के आधार पर परिकल्पना की जाँच की गयी है जिसमें परिकल्पना क्रमांक (1) व (3) सत्य पाई गई तथा (2) असत्य पाई गयी है।