{"title":"पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजनीति जीवन","authors":"रमन उपाध्याय","doi":"10.33545/26649845.2020.v2.i1a.13","DOIUrl":null,"url":null,"abstract":"इतिहास पडित दीनदयाल उपाधयाय को कवल जनसघ क परमख शिलपकार ही नहीय बलकि एक सरवथा मौलिक पसतक ’एकातम मानववाद’ क लखक रप म याद रखगा। सवततरता क बाद भारत म ऐस नता नही हए ह, जो राजनीति क दारशनिक भी हो। दीनदयाल जी उन कछ सरवोततमो म स एक थ।आज सवततरता-परापति क 70 वरष बाद भी भारत क सामन यह एक महतवपरण परशन बना हआ ह, कि समपरण जीवन की रचनातमक दषटि स कौन-सी दिशा आतमसात की जाय, लकिन इस सबध म सामानयतः लोग सोचन क लिए तयार नही ह, व तो तातकालिक मददो पर ही विचार करत ह। कभी आरथिक मददो को लकर उनको सलझान का परयतन करत ह। और कभी राजनीतिक अथवा सामाजिक मददो को सलझान क परयतन किय जात ह, किनत मल दिशा का पता न होन क कारण य जितन परयतन होत ह, न तो उनम परा उतसाह रहता ह, न उनम आनद का अनभव होता ह और न उनक दवारा जसी सफलता मिलनी चाहिय वसी सफलता मिल पाती ह।","PeriodicalId":237997,"journal":{"name":"International Journal of Social Science and Education Research","volume":"59 1","pages":"0"},"PeriodicalIF":0.0000,"publicationDate":"2018-03-25","publicationTypes":"Journal Article","fieldsOfStudy":null,"isOpenAccess":false,"openAccessPdf":"","citationCount":"0","resultStr":null,"platform":"Semanticscholar","paperid":null,"PeriodicalName":"International Journal of Social Science and Education Research","FirstCategoryId":"1085","ListUrlMain":"https://doi.org/10.33545/26649845.2020.v2.i1a.13","RegionNum":0,"RegionCategory":null,"ArticlePicture":[],"TitleCN":null,"AbstractTextCN":null,"PMCID":null,"EPubDate":"","PubModel":"","JCR":"","JCRName":"","Score":null,"Total":0}
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Abstract
इतिहास पडित दीनदयाल उपाधयाय को कवल जनसघ क परमख शिलपकार ही नहीय बलकि एक सरवथा मौलिक पसतक ’एकातम मानववाद’ क लखक रप म याद रखगा। सवततरता क बाद भारत म ऐस नता नही हए ह, जो राजनीति क दारशनिक भी हो। दीनदयाल जी उन कछ सरवोततमो म स एक थ।आज सवततरता-परापति क 70 वरष बाद भी भारत क सामन यह एक महतवपरण परशन बना हआ ह, कि समपरण जीवन की रचनातमक दषटि स कौन-सी दिशा आतमसात की जाय, लकिन इस सबध म सामानयतः लोग सोचन क लिए तयार नही ह, व तो तातकालिक मददो पर ही विचार करत ह। कभी आरथिक मददो को लकर उनको सलझान का परयतन करत ह। और कभी राजनीतिक अथवा सामाजिक मददो को सलझान क परयतन किय जात ह, किनत मल दिशा का पता न होन क कारण य जितन परयतन होत ह, न तो उनम परा उतसाह रहता ह, न उनम आनद का अनभव होता ह और न उनक दवारा जसी सफलता मिलनी चाहिय वसी सफलता मिल पाती ह।